शब्द विचार-परिभाषा भेद इन हिन्दी (MARPHOLOGY in hindi)
शब्द विचार-परिभाषा भेद इन हिन्दी (MARPHOLOGY in hindi)
प्रश्न – शब्द विचार-परिभाषा भेद (MARPHOLOGY in hindi) पर प्रकाश डालिए ।
शब्द विचार-परिभाषा भेद इन हिन्दी (MARPHOLOGY in hindi)
उत्तर – वर्णो के मेल से बना कोई ध्वनि जो स्वतंत्र एवं सार्थक हो शब्द कहलाते है। जैसे – क् + इ + त् +आ + ब् + + अ =
किताब , ख् + ए + त् + अ = खेत
शब्दो के मेल से ही वाक्य बनता है। शब्दो वाक्य का स्वतंत्र एवं सार्थक इकाई है।
जैसे – मैं घर जाता हूँ।
वाक्य में प्रयोग होने के बाद शब्द पद बन जाता है , पद बनने के उपरांत वो स्वतंत्र नहीं रह जाता।
हिंदी भाषा के शब्दो का मुख्य भाग।
हिंदी भाषा का शब्द भंडार अपार है , प्रत्येक भाषा के कुछ शब्द अपने होते है कुछ शब्द
बनते है , कुछ शब्द दूसरे भाषा से आ जाते है।
शब्द विचार-परिभाषा भेद इन हिन्दी (MARPHOLOGY in hindi)
हिंदी भाषा के शब्दो को मुख्यतः पांच भोगो में बाटा गया है।
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शब्दो का वर्गीकरण |
शब्द विचार-परिभाषा भेद इन हिन्दी (MARPHOLOGY in hindi)
व्युत्पत्ति या रचना के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते है।
(i) मूल शब्द (रूढ़ शब्द )
यौगिक शब्द
योगरूढ़ शब्द-:
स्रोत या इतिहास आधार पर –:
दुनिया के किसी भाषा भी में कई दूसरे भाषाओं के अनेक शब्द आ जाते जाते है इसीसे भाषा का का विकास होता है। हिंदी
में भी अनेक शब्दों का समावेश हुआ है जिसका स्रोत कई भाषाएँ है। इसी स्रोत के आधार पर शब्दो को पांच भोगो में
बाटा गया है। (i) तत्सम (ii) तद्भव (iii) देशज (iv) विदेशज (v) संकर
तत्सम –
तत्सम (त् + सम ) शब्द का अर्थ होता है जस का तस या उनके सामान , यहां उनके का तात्पर्य है संस्कृत के सामान।
हिंदी में बहुत सारे शब्द जो संस्कृत से जैसे के तैसे शब्द को ग्रहण कर लिया है जैसा प्रयोग संस्कृत में होता है वैसा ही प्रयोग
बिना कुछ उलट फेर किये हिंदी हो तो उसे तत्सम शब्द ककहते है। जैसे – अग्नि , सूर्य , अश्व , प्रकाश मयूर आदि।
तद्भव –
कुछ तत्सम – तद्भव शब्दों की सूचि निम्न है।
तत्सम |
तद्भव |
नासिका
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नाक
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ग्राम
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गाँव
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मयूर
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मोर
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दुग्घ
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दूध
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कर्ण
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कान
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सूर्य
|
सूरज
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ओष्ट
|
ओठ
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आम्र
|
आम
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हस्त
|
हाथ
|
क्षेत्र
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खेत
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सर्प
|
साँप
|
दन्त
|
दांत
|
चंद्र
|
चाँद
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सत्य
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देशज शब्द -:
विदेशज शब्द -:
विदेशज शब्द को आगत शब्द(आगत शब्द अर्थ होता है आया हुआ ) भी कहते है। विदेशज शब्द वो है जो किसी दूसरे भाषा
के शब्द हिंदी में आ गए हो , दूसरे भाषाओं शब्द इस प्रकार घुल मिल मिल गए है, कि ये शब्द हिंदी के ही लगते है।
हिंदी ने कई विदेशी भषाओं के शब्दो अपने समाहित किया है जैसे -: अंग्रेजी , अरवी , फ़ारसी , चीनी , तुर्की , पुर्तगाली ,
रुसी आदि भाषाएँ से आये है।
इनके कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार है –
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विदेशज शब्द |
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पुर्तगाली -: आया , आलपिन , पादरी , संतरा , साबुन , बाल्टी , गमला आदि
इसके अलाबे चीनी भाषा से चाय , चीनी लिया गया। जापानी भाषा से रिक्शा। काजू , अंग्रेज फ्रांसीसी भाषा से लिया
गया है। रूबल , स्पूतनिक आदि रूसी भाषा के है।
संकर शब्द -:
ऐसे शब्द जो किसी दो दो शब्दो के मेल से बने हो , और दोनों शब्द
अलग –अलग स्रोत से आए हो संकर कहलाता है। इसका उदाहरण निम्न है -:
नुकसानदायक – नुकसान (अंग्रेजी ) + दायक (हिंदी)
छायादार – छाया (संस्कृत ) + दार (फ़ारसी )
सीलबंद – सील (अंग्रेजी ) + बंद (फ़ारसी )
रेलगाड़ी – रेल (अंग्रेजी ) + गाडी (हिंदी )
शब्द विचार-परिभाषा भेद इन हिन्दी (MARPHOLOGY in hindi)
प्रयोग के आधार पर -:
प्रयोग आधार पर शब्दो को दो भागो में बाटा जा सकता है।
1) सामान्य शब्द 2) परिभषिक शब्द या तकनीकी शब्द
सामान्य शब्द -:
ऐसे शब्द जिसका प्रयोग सामन्य जन साधारण के द्वारा होता है,
इसका प्रयोग लोग दैनिक कार्य प्रणाली करते है।
जैसे – सुबह , शाम , चाबल , आटा , दाल , घर , बाहर आदि
पारिभाषिक (तकनीकी) शब्द -:
विज्ञान के लिए -: कोशिका , तंत्रिका , रासायन , विकिरण आदि
मानविकी और वाणिज्य -: पूंजी , बीजक , तालाबंदी , अभिकरण नौकरशाही आदि
प्रशासन -: प्रभाग , अधीक्षक , कार्यकारी , रिक्त , वरिष्ठ , प्रतिहस्ताक्षर
आदि शब्द प्रशासन में प्रयुक्त होते है। व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर -:
व्याकरण के दृस्टि से शब्दो को दो भागो में बाटा जा सकता है।
(1 ) विकारी शब्द (2 ) अविकारी शब्द
विकारी शब्द -:
विकारी होते है जिसमे शब्द का प्रयोग करते समय लिंग वचन
कारक , काल के समय विकार बदलाब उत्तपन्न जाता है , उसे विकारी शब्द कहते है। संज्ञा – कोलकाता , राम , प्रेम आदि
सर्वनाम – यह , वह , उनका , उन्होंने आदि।
विशेषण – काला , गोरा , सुन्दर , लम्बा , नाटा आदि
क्रिया – आता , जाता , खाना , गाना आदि।
अविकारी शब्द -:
ऐसा शब्द जिसका मूल रूप में कोई विकार परिवर्तन होता अविकारी शब्द कहलाता है।
क्रिया विशेसन -: धीरे –धीरे , ध्यान , मन लगा कर , तेज आदि।
संबंधबोधक -: के पीछे , के आगे , के बाद , के ऊपर आदि शब्द संबंधबोधक शब्द है।
समुच्यबोधक -: लेकिन , और ,अथवा इसीलिए आदि शब्द समुच्य बोधक है।
विस्मयादिबोधाक – आह ! , अरे ! ,वाह ! आदि
निपात – ही , भी आदि
5) अर्थ के आधार पर – प्रत्येक शब्द का अपना एक अलग अर्थ है। जिसे मुख्यार्थ कहते है।
अर्थ के आधार पर शब्द को चार भागो में बाटा गया है। 1) पर्यायवाची शब्द –
जिन शब्दो के अर्थ समानता रहती है। उसे पर्यायवाची शब्द कहते है। घोडा – अश्व , तुरंग , हय , वाजी सूर्य – सूरज , रवि , दिनकर , दिवाकर 2) विलोमार्थी शब्द –
किसी शब्द का उल्टा अर्थ देने वाला शब्द विलोम या विपरीतार्थक शब्द कहते है। जैसे – आना – जाना
अंधकार – प्रकाश
मित्र – शत्रु
देव – दानव
एकार्थी शब्द –
वो शब्द जो किसी भी प्रस्थिति में इसका अर्थ एक सामान होते है ,
उसे एकार्थी शब्द कहते है। जैसे – यातना , पत्नी , अहंकार , कलंक , आसक्ति आदि
अनेकार्थी शब्द –
वो शब्द जो अलग –अलग परिस्थियों अलग – अलग अर्थ देता है ,
उसे अनेकार्थिक शब्द कहते है। जैसे – कुल – वंश , सब
कनक – सोना , धतूरा तीर – किनारा , बाण
पानी – जल , इज्ज़त आदि। |