वृत्तस्थ कोण संबंधी प्रमेय class-10 chapter-7.1(W. B board)
वृत्तस्थ कोण संबंधी प्रमेय class-10 chapter-7.1(W. B board)
sweam karen – 7.1
वृत्तस्थ कोण संबंधी प्रमेय
(1) पास के चित्र में ㄥAMB , वृतचाप APB द्वारा बना सम्मुख कोण है ।
ㄥANB , वृतचाप APB ⁀ द्वारा बना सम्मुख कोण है ।
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(i) |
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(ii) |
वृत्तस्थ कोण संबंधी प्रमेय
ANS. पास के चित्र में ㄥAMB , वृतचाप APB द्वारा बना सम्मुख(वृतस्थ )
कोण है । ㄥANB , वृतचाप AQB ⁀ द्वारा बना सम्मुख कोण है ।
(2) पास के चित्र में ㄥSLT जीवा के द्वारा L बिन्दु पर निर्मित सम्मुख कोण
है । पुनः चूंकि L बिन्दु वृत में स्थित है । अत: कोण ST जीवा द्वारा बना वृहस्थ
कोण है । पुनः ㄥSLT वृत चाप द्वारा गठित सम्मुख वृत कोण है ।
ANS . पास के चित्रा में ㄥSLT , ST जीवा के द्वारा L बिन्दु पर निर्मित
S सम्मुख कोण है । पुनः चूंकि L बिन्दु वृत में स्थित है । अत: कोण ∠SLT
ST जीवा द्वारा बना वृतस्थ कोण है । पुनः ∠SLT , वृतचाप SNT द्वारा गठित
सम्मुख वृत कोण है ।
स्वत : करो -: 7.2
वृत्तस्थ कोण संबंधी प्रमेय
(1) हमने एक वृत बनाए एवं उस वृत में दो वृतस्थ कोण बनाए जो (a) एक
ही वृत चाप के द्वारा बने हो (b) एक ही वृत चाप द्वारा बने हो ।
ANS.(a)
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ㄥCBD और ㄥCAD एक ही वृत चाप |
CD द्वारा बने कोण है ।
(b)
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ㄥACB और ㄥDFE दो वृतस्थ |
कोण है , क्रमश: AB और DE चाप द्वारा बने है ।
(2) हम O केन्द्रीय वृत में एक वृतस्थ कोण एवं एक केंद्र पर स्थित कोण बनाए
जो एक ही वृत चाप बने हो (b) एक ही वृत चाप द्वारा बने नहीं हो ।
ANS . (a)
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एक ही चाप PQ द्वारा वृतस्थ ㄥPRQ और केंद्र पर स्थित कोण ㄥPOQ है। |
(b)
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ㄥBAC और ㄥCED अलग – अलग चाप पर स्थित वृतस्थ कोण है। |
(3) चित्र देख कर उत्तर दे : (O वृत का केंद्र है ।)
ANS.
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i , ii , iii , iv , v |
(i) नंबर चित्र में ∠AOB कोण APB वृत चाप द्वारा बना केंद्र पर का कोण है ।
(ii) नंबर चित्र में ㄥAPB कोण AQB वृत चाप द्वारा बना केंद्र पर का कोण है ।
(iii) नंबर चित्र में ㄥADB कोण AQB ⌒ वृत चाप द्वारा बना वृतस्थ कोण है ।
(iv ) नंबर चित्र में ㄥACB कोण APB ⌒ वृत चाप द्वारा बना वृतस्थ कोण नहीं है ।
(V) नंबर चित्र में ㄥADB कोण AQB ⌒ वृत चाप द्वारा बना वृतस्थ कोण नहीं है।
(B) )(i)
(ii)
(i) नंबर चित्र में दो कोण ㄥACB व ㄥADB एक ही वृतांश के कोण है । ये ABCD ही
वृतांश में स्थित है ।
(ii) न० चित्र में ㄥACB व ㄥADB दो कोण वृतांश एमईआईएन स्थित कोण नहीं है ।
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प्रयोग (1) हम p केंद्र वाले एक वृत्त को बनाए एवं उस वृत्त में ACB वृत्त चाप द्वारा
निर्मित केंद्र पर स्थित ㄥAPB व वृत्त – परिधि पर ㄥAQB बनाकर प्रमाणित कीजिये ।
ㄥAPB = 2 ㄥAQB
ANS. p केंद्र वाले वृत में ACB ⌒ द्वारा केंद्र पर का बना ㄥAPB
और वृत परिधि पर का स्थित ㄥAQB है ।
तो सिद्ध करना है की ㄥAPB = 2 ㄥAQB
रचना: – Q-P को D बिंदु तक बढ़ाया ।
प्रणाम – 🛆 AQB में PA = PQ (एक ही वृत के अर्धव्यास )
∴ ㄥPAQ = ㄥPQA (त्रिभुज के सम्मुख कोण )
पुनः Δ AQP में , ㄥAPD बहिष्कोण है ।
अत: ㄥAPD =2 ㄥPAQ + ㄥPQA
ㄥAPD = ㄥPAQ + ㄥPQA = ㄥPQA + ㄥPQA [ ∴ ㄥPAQ =ㄥPQA ]
∴ ㄥAPD = 2 ㄥPQA ———–I
उसी प्रकार ΔBQP में सिद्ध कर सकते है कि ㄥBPD = 2 ㄥPQB ——– II
I और II से ㄥAPD + ㄥBPD = 2 ㄥPQA + 2 ㄥPQB
= ㄥAPB = 2 {ㄥPQA +ㄥPQB }
ㄥAPB = 2 ㄥAQB सिद्ध
पेज 124
प्रयोग -5 – नीचे के त्रिभुज को देख कर X एवं Y का मान ज्ञात करके लिखे ।
ANS .
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(i) |
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(ii) |
चित्र न० (i) में ㄥBOC = 360° – (100° + 140° )
= 360° – 240° = 120°
एक ही चाप BC ⌒ द्वारा केंद्र पर का ㄥBOC और परिधि का कोण
ㄥBAC है ।
अत: ㄥBOC = 2 ㄥBOC
या,ㄥBAC = 1/2 ㄥBAC =1/2 ×120°= 60°
चित्र न० (ii) में अधिक कोण ㄥAOB और परिधि का कोण
ㄥAPB एक ही चाप AB ⌒ पर स्थित है ।
अधिककोण ㄥAOB = 360° – 120° = 240°
ㄥAPB = 1/2 अधिक कोण ㄥAOB = 1/2 × 240° = 120°
∴ Y = 120° ANS.
वृत्तस्थ कोण संबंधी प्रमेय
पेज – 125 प्रयोग: 7 — ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है ।, जिसकी AB = AC ;
BC के जिस तरफ ΔABC स्थित है , उसी तरफ 🛆DBC इस प्रकार बनाया गया
है कि ㄥBAC =2 ㄥBDC । प्रमाणित करें कि A केंद्र से AB अर्धव्यास द्वारा अगर
वृत खिचा जाए , तो वह D बिन्दु से होकर गुजरेगा अर्थात D बिन्दु उसी वृत पर स्थित है ।
ANS. ABC एक सम द्विबाहू Δ है । जिसकी AB= AC
BC के जिस तरफ 🛆ABC स्थित है , उसी तरफ
🛆DBC इस प्रकार बनाया गया है कि
ㄥBAC = ㄥBDC
तो सिद्ध करना है कि A , B , C से गुजरने बाला वृत D से होकर जाएगा
अर्थात D बिन्दु उसी वृत पर स्थित है ।
रचना – A , B , C से गुजरता हुआ एक वृत खींचा । यदि यह वृत D बिंदुगमी नहीं है ,
तो वह BD को अथवा , BD के बढ़ाए हुए भाग को कटेगा कल्पना किया कि वह BD ,
को D बिन्दु को काटता है । CD को मिलाया ।
प्रमाण – ∵ ㄥBAC और BD’C एक ही अवधा में स्थित कोण है ।
∴ ㄥBAC = ㄥBD’C
लेकिन रचनानुसार ㄥBAC =ㄥBDC
∴ ㄥBD’C = ㄥBDC
लेकिन ये असंभव है । यदि D D’ बिन्दु संपाती नहीं है ।
क्योंकि बहिष्कोण BD’C > BDC
∴ D बिन्दु पर वृत स्थित है ।
∴ A , B , C , D एक ही वृत पर स्थित है । सिद्ध ।