वाक्य विचार-परिभाषा उसके भेद उसके विशेषताएँ(vakya vichar)
वाक्य विचार-परिभाषा उसके भेद उसके विशेषताएँ(vakya vichar)
होता है। वाक्य में आयें प्रत्येक शब्द मिलकर पूरा अर्थ प्रकट करता हैं।
वाक्य के परिभाषा -: (vaky ki paribhasha)

वाक्य की विशेषताएं निम्नलिखित है -:
(1) सार्थकता (2) योग्यता (3) आकांक्षा ( 4 ) निकटता या आसक्ति
(5) पद – क्रम (6) अन्वय
शब्द होने से भी अर्थ निकल आता है , ये सिर्फ अपवाद के रूप में है।
(2) योग्यता – योग्यता का अर्थ होता है वाक्य में सार्थक शब्दों का प्रयोग होना चाहिए
उन शब्दों का वाक्य के प्रसंग के अनुसार अर्थ भी होना आवश्यक है। वाक्य के सभी
शब्दों का आपस में मेल भी होना चाहिए।
(3) आकांक्षा ————- वाक्य अपने आप में पूर्ण होना चाहिए।
वाक्य में ऐसे शब्द की कमी ना हो जिस से वाक्य का अर्थ स्पष्ट ना हो सके कुछ
अधूरा सा रहें ऐसे वाक्य आकांक्षा के प्रतिकूल होते हैं। शब्द वाक्य को पूरा अर्थ दे सके।
पढ़ने के बाद पूरा अर्थ समझ में आ जाए कुछ और जानने की इच्छा या आकांक्षा ना रहें।
(4) आसक्ति – वाक्यों में शब्दों का प्रयोग इस प्रकार करना चाहिए की शब्दों में निकटता
या आसक्ति हो। रुक – रुक के बोलने से वाक्य के अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाते , उनके प्रयोग में
निरन्तरता ज़रुरी है। यदि कहीं रूकावट या बदलाव दिखाना आवश्यक है तो वहा विराम-
चिन्हों का प्रयोग करना चाहिए।
(5) पद – क्रम – वाक्यों के सही अर्थ जानने के लिए शब्दों का सही क्रमों में सजा रहना
आवश्यक है। वाक्य में शब्द सही क्रम में ना रहा तो वाक्य का अर्थ समझ में नहीं आता।
(6) अन्वय – अन्वय का अर्थ होता है वाक्य में कर्ता , क्रम और क्रिया के लिंग , वचन और
पुरुष और कारक में मेल होना आवश्यक है। इसके अभाव में अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता।
संरचना के दृष्टि से वाक्य के दो घटक होते है -:
(1) उद्देश्य (कर्ता) (subject) – अंग्रेजी में जो अर्थ subject का है वही अर्थ हिंदी में वही
स्थान उद्देश्य का है , अर्थात वाक्य में जिसके वारे में बोला जाता है उसे उद्देश्य कहा जाता है।
इसमें कर्ता तथा कर्ता का विस्तार आ जाता है।
(2) विधेय (क्रिया ) (predicate ) – अंग्रेजी में predicate जो अर्थ है वही अर्थ हिंदी में विधेय
का है। वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कहा जाये उसे विधेय कहा जाता है। इसमें क्रिया
और क्रिया का विस्तार कर्म एवं कर्म का विस्तार आ जाता है।
उद्देश्य और विधेय के मेल से ही वाक्य की सरंचना पूर्ण होती है। इसका उदाहरण निम्नलिखित
उद्देश्य
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विधेय
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मैं
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बाजार जाता हूँ।
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सूरज
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पूरव से निकल चुका है।
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लता
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कक्षा मैं पढ़ाई करा रहीं है।
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कक्षा के सभी छात्र
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शोर मचा रहें है।
|
इस से स्पष्ट है की वाक्य में कर्ता , कर्म , क्रिया एवं पूरक का अपना – अपना स्थान होता है।
सभी शब्द वाक्य में आने के बाद व्याकरणिक नियमों में बंध जाते हैं।
हम लोग उद्देश्य और उद्देश्य के विस्तार एवं विधेय एवं विधेय के विस्तार को निम्नलिखित
समझेंगे।
उद्देश्य एवं उद्देश्य के विस्तार -:
वाक्य
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उद्देश्य
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उद्देश्य का विस्तार
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विधेय
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बुद्धिमान विद्यार्थी ने इस गणित को हल कर दिया।
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विद्यार्थी
|
बुद्धिमान
|
इस गणित को हल कर दिया।
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मेहनती व्यक्ति हमेशा सफल होते है।
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व्यक्ति
|
मेहनती
|
हमेशा सफल होते है।
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काली रात लम्बी होती है।
|
रात
|
काली
|
लम्बी होती है।
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काली भैस घास खा रही है।
|
भैस
|
काली
|
घास खा रही है।
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बहादुर सैनिकों ने सभी आतंकवादियों को ढेर कर दिया।
|
सैनिकों
|
बहादुर
|
सभी आतंकवादियों
को ढेर कर दिया।
|
वाक्य
|
विधेय
|
विधेय का विस्तार
|
उद्देश्य
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मैं स्कूल जाता हूँ।
|
जाता हूँ।
|
स्कूल
|
मैं
|
अध्यापिका कक्षा में पढ़ा रहीं है।
|
पढ़ा रहीं है।
|
कक्षा
|
अध्यापिका
|
लड़के मैदान में खेल रहे थे।
|
खेल रहे थे।
|
मैदान
|
लड़के
|
लता पत्र लिखती है।
|
लिखती है। | पत्र | लता |
वाक्य के मुख्यतः दो भेद होते है -:
(i) कथानात्मक / विधानवाचक वाक्य -:
(ii) नकारात्मक /निषेधात्मक वाक्य -:
आज्ञार्थक /विधिवाचक वाक्य -:
प्रश्नवाचक वाक्य -:
इच्छावाचक वाक्य -:
संदेह वाचक वाक्य -:
विस्मयादिबोधक वाक्य -:
संकेत वाचक वाक्य -:
जिस वाक्य में किसी पर संकेत किया जाता हो या किसी कार्य को होने के लिए शर्त
रखा जाता हो उसे संकेत वाचक या शर्त वाची वाक्य भी कहते है।
जैसे – अगर तुम आ जाते तो. मैं चला जाता।
यदि बारिश हो जाती तो ,मैं नहीं आता।
यदि राम आ जाता तो, तुम्हारा काम हो जाता।
वर्षा हुई होती तो , फसल अच्छा होता।
रचना की दृस्टि से वाक्य के भेद -:
(3)मिस्र वाक्य
(1) सरल वाक्य -:(saral vaky)
भले ही कर्ता अर्थात उद्देश्य एक से अधिक हो सरल वाक्य कहलाता है।
उदाहरण के लिए -: लता खेल रहीं है। ( एक उद्देश्य , एक विधये )
लता और माला रहीं है। (दो उद्देश्य , दो विधेय )
सरल वाक्य में एक ही वाक्य होता है और वाक्य में एक ही विधेय होता है।
वाक्य में यदि क्रिया अकर्मक है तो उसमे कर्म नहीं आ सकता और यदि सकर्मक
है तो ज़रूर आएगा , अगर द्विकर्मक है तो दो कर्म आ सकते है।
जैसे – : मैं नहीं खेल रहा हूँ।
राजू ने रमन से सवाल वनवाया।
(2 ) संयुक्त वाक्य -:( sayunkt vaky)
संयुक्त वाक्य के निम्नलिखित प्रभेद होते है।
(क) संयोजक संयुक्त वाक्य -:
उसे संयोजक संयुक्त वाक्य कहते है।
जैसे -: लता शिक्षिका है और उसका पति डॉक्टर।
वो पास हो गई एवं तुम फैल हो गए।
(ख ) विभाजक संयुक्त वाक्य -:
जिन दो वाक्यों के बीच विकल्प सूचक समुच्यबोधक शब्द का प्रयोग होता है उसे
विभाजक संयुक्त वाक्य कहते है।
जैसे -: तुम देखते जाओ मैं बताता रहूँगा।
वर्षा नहीं होती तो मैं आ जाता।
(ग) विरोध सूचक वाक्य -:
वाक्य कहते है। जैसे -: वो पास हो जाता परन्तु मेहनत ही नहीं किया।
(घ)परिमाण वाची संयुक्त वाक्य -:
मिस्र वाक्य – : |(|misr vaky)
मिस्र वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य होता एवं उसपर आश्रित एक या एक
से अधिक उपवाक्य हो सकते है।
मिस्र वाक्य में वाक्यों के बीच समानता का सम्बन्ध नहीं होता आश्रय और
आश्रित का सम्बंन्ध होता है। इसमें एक प्रधान उपवाक्य होता है , जिसका
विस्तार या समर्थन दूसरा आश्रित वाक्य करता है।
जैसे -: ये वही लड़का है , जिसने मेरी घड़ी चुराई थी।
राजेश को पुरुष्कार मिला क्योंकि वह कक्षा में प्रथम आया था।
मेरी कलम मिल गई जो खो गई थी।
रामु ने कहा था कि वो मेरा घर आएगा।
उपवाक्य (Clouse) -:
उपवाक्य के निम्नलिखित तीन भेद होते है।
- संज्ञा उपवाक्य ( Noune clause )
- विशेषण उपवाक्य (Adjective clause )
- क्रियाविशेषण उपवाक्य (Adverbial clause )
- संज्ञा उपवाक्य
भारत ने कहा ( उपवाक्य का कर्म ) हम लड़ाई नहीं चाहते ( उपवाक्य )
- विशेषण उपवाक्य -:
- क्रिया विशेषण उपवाक्य -:
यदि किसी वाक्य में आश्रित उपवाक्य प्रमुख उपवाक्य के क्रिया का विशेषता बतलाता
हो उसे क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते है।
जैसे -: यदि बोलना नहीं आता , तो चुप रहना चाहिए।
जब में स्टेशन पहुंचा तो ट्रैन जा चुकी थी।
क्रिया विशेषण उपवाक्य के पांच भेद है।
(१) काल वाचक – तुम्हारे आने के पहले वो जा चुका था।
जैसे ही मैं घर पहुंचा बारिश छूट चुकी थी।
(२) स्थानवाचक – तुम जहाँ पढ़ते हो मेरा बेटा भी वहीं पढ़ता है।
तुम जिधर जा रहे हो , मैं पहले उधर चुका हूँ।
(३) रीतिवाचक – तुम वैसा ही करते जाओ , जैसा मैं करता जाता हूँ।
बच्चे वही सीखते है , जो वे बड़ों को करते देखते है।
(४) परिमाणवाचक – जितना चीनी डालोगे चाय उतनी मीठी होगी।
तुम जितना पढ़ाई करोगे , उतना ही अच्छा नंबर आएगा।
(५) हेतुसूचक वाक्य (परिणाम वाचक वाक्य) – यदि पढ़ते तो पास अवश्य होते।
मेहनत करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।
इसके अलावे क्रिया विशेषण वाक्य के दो और भेद बताएं गए है।
कारणसूचक – ऐसा उपवाक्य जिसमे क्रिया के होने या ना होने का बोध कराता हो ,
कारण सूचक क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते है।
जैसे – वो प्रथम आई है क्योंकि उसने बहुत मेहनत की थी।
प्रयोजन सूचक – जिस उपवाक्य से क्रिया के उद्देश्य अथवा प्रयोजन का पता चलता हो
उसे प्रयोजन सूचक क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते है।
जैसे – तुम अच्छे से पढ़ाई करो ताकि अच्छे नंबरों से उत्तरीन हो सको।
जल्दी चलो ताकि ट्रैन पकड़ सको।
प्रेरणार्थक वाक्य
प्रेरणार्थक वाक्य कहलाता है।
प्रेरणार्थक क्रिया के दो भाग होते है।
(क) प्रथम प्रेरणार्थक -: इसमे दो कर्ता होता है प्रथम करने वाला और दूसरा कराने
वाला अर्थात सहायता करने वाला जैसे – शिक्षिका बच्चों को पढ़ना सीखा रही है।
बच्चों ( कर्ता )जिसने सीखा
शिक्षिका (प्रेरक कर्ता ) जिसके कहने से सिखाने का कार्य किया गया।
द्वितीय प्रेरणार्थक वाक्य – इस प्रकार के वाक्य में पहला प्रेरक कर्ता कार्य को करने के लिए
किसी दूसरे प्रेरक कर्ता की सहायता लेता हो।
जैसे -: मैंने उसे उसके पिता जी से डाट खिलवाई।
वाक्य बोधक वाक्य रचना -: जिस वाक्य में कर्ता क्रिया के करने के लिए सामाजिक
, राजनीतिक , धार्मिक , प्रशासनिक दवाव होता है।
जैसे -: अब आपको चलना ही पड़ेगा।
सभी को गुरु का आदर करना चाहिए।
प्रछन्न वाक्य ( लघु वाक्य) -: कोई संवाद पूर्ण रूप से वाक्य ना लगते हुए भी एक पुरे
वाक्य के तरह अर्थ प्रकट करता हो उसे लघु वाक्य कहते है।
जैसे – प्रश्न – तुम्हारा नाम क्या है ?
उत्तर – दिनेश।
प्रश्न -तुम कहा से आ रहे हो ?
उत्तर – मुंबई।
उपर्युक्त संबाद में दिनेश से अभिप्राय है , मेरा नाम दिनेश है।
मुंबई से आशय है कि मैं मुंबई से आ रहा हूँ।
लघु वाक्य तीन प्रकार के होते है।
अध्याहार के कारन बने लघु वाक्य -: इस वाक्य में वक्ता कहना चाहते हुए भी शब्दों का
लोप कर देता है।
सामाजिक सम्प्रेषण में प्रयुक्त लघु वाक्य -:कुछ वाक्य सामाजिक व्यवहार में लघु
रूप में प्रचलित है। .जैसे – नमस्ते , प्रणाम , जी , साहव , हेलो , शुक्रिया , आदि
उद्गारात्मकता लघु वाक्य – जीन शब्दों से वक्ता अपने उदगार व्यक्त करता हो उसे
उद्गारत्मकता लघु वाक्य कहते है।
जैसे -: सुन्दर ! , क्या खूब ! , चोर जेल से फरार ! , लाओ तो जाने ! आदि
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(VI) उपसर्ग एवं प्रत्यय
(VII) समास
(VIII) शब्द विचार
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