प्रदूषण के कारण और उसका रोकथाम(pradushan PAR NIBANDH)
प्रदूषण के कारण और उसका रोकथाम(pradushan PAR NIBANDH)
भूमिका -प्रदूषण किया है ?प्रदूषण के कारण और उसका रोकथाम कैसे की जानी चाहिए । हमारे वातावरण में कुछ ऐसे पदार्थ
आ जाते है जो हमारे पर्यावरण मानव एवं समस्त जीवजंतु को नुकसान पहुँचता है , उसे प्रदूषण कहते है। प्रदूषण मानव
जीवन को संकट में लेकर खड़ा कर दिया है , मानव जाति नहीं समस्त प्रकृति की इ लिए संकट बन गया है। इसका मात्र
कारण मानव है। प्रकृति ने तो स्वच्छ , सुन्दर पृथ्वी मानव को सोपा था परन्तु मानव ने अपनी महत्वकांक्षा के कारण प्राकृत
को दूषित कर दिया है।प्रकृति में अवांछित वस्तु के मिल जाने से जिस से मनुष्य , जानवर , पेड़ पौधे के लिए हानिकारक हो ,
प्रदूषण कहलाता है।आज पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है जिस से सागरों की जल स्तर बढ़ता जा रहा है , जिस से सागर
महाद्वीपों की जमीननिगलता जा रहा हैं। पृथ्वी से 50 किलो मीटर ऊपर ओजोन परत है जो सूर्य से आने वाली परा वैगनी (U.V
) किरणे कोसोखलेती है , जिस से धरती में रह रहे प्राणी उस हानि कारक किरण से बच पाते है। परन्तु चिंता की बात यह है
कि धुर्वो मेंओज़ोन की परत में 40% से 50% तक छीद्र हो चूका जिस से तापमान में वृद्धि के कारण वहा की ग्लेशियर रहे
है जोभविष्य में संकट उत्त्पन्न करेगा।
बेरोजगारी की समस्या पर निबंध click here
प्रदूषण के कारण और उसका रोकथाम
प्रदूषण मुख्य रूप से निम्नलिखित देखा जा सकता है।
जल प्रदूषण , वायु प्रदूषण , मिट्टी प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण
जल प्रदूषण – प्रदूषण के कारण और उसका प्रभाव पर जल का महत्वपूर्ण स्थान है ।
जल को जीवन कहा गया है , परन्तु जब जल में अशुद्धियां या अवांछित पदार्थ आ जाते है , जल प्रदूषण
कहलाता है और यही जल विभिन्न बिमारियों का कारण बन जाता है। आज होने वाली अधिकांश विमारियों का महत्वपूर्ण
कारण जल ही होता है। गैस , पथरी , चर्म रोग आदि रोगों का कारण प्रदूषित जल ही है।
जल प्रदूषण का कारण कारखानों से निकलने वाला गन्दा पानी नालों के माध्यम से नदी में बेहिचक बहा दिया जाता है , जिस से
नदियों का पानी अशुद्ध हो जाता है। नदी में रह रहे जिव जंतु का जीवन संकट में आ जाता है। समुद्र में तेल ले जा रहे पोत के हो
जाने से तेल समुद्र के जल में फेल जाता है और इस से जल ऑक्सीज़न की कमी हो जाने से समुद्र में रह रहे जलिये जिव की
मृत्यु तक हो जाती है। कारखानो से निकलने वाली रासायनिक पदार्थ जलिये जीवों के लिए तो ओर भी आफ़त है।
इसके अलावा घरों से निकलने वाले दूषित जल विभिन्न नाली एवं नालों से होते हुए नदी में डाल दिया जाता है इतना ही नहीं
मानव एवं जानवरों के मल , मूत्रों को निःसंकोच नदियों में वहा दिया जाता है। नदियों में जानवरों के यहाँ तक की मनुष्यों के
सावों को भी वहा दिया जाता है। जल के एक अन्य स्रोत तालाब को भी प्रदूषित करने में मनुष्यों ने कसर नहीं छोड़ी है ,
तालाब में जानवर को नहलाना , कपडे एवं बर्तन की सफाई करता है , जिस से तलाव का जल भी प्रदूषित हो गया है। खेत में
इसी जल से सिचाई होने से, जल में उपस्थित रासायनिक पदार्थ अन्न , सब्जी आदि में आ जाने से ये दूषित हो जाते है जिसे हम
खाते है और वो रासायनिक हमारे अंदर प्रवेश कर जाता है जिस से हमें विभिन्न विमारियों का सामना करना पड़ता है।
जल प्रदूषण बचाब – जल प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए हमे कई कदम उठाने होंगे , कल कारखानों से निकलने
वाले दूषित , हानिकारक और रासायनिक तत्व को नदियों में डालने से बचना चाहिए इसे उचित डंग से नष्ट करने का व्यवस्था
करना होगा , नदियों कूड़ा कचड़ा , मानव या जानवरों के शव को नहीं डालना चाहियें।
घरों आदि से निकलने वाले गन्दा पानी को भी नदियों में डालने से बचना चाहिए और जिस तलाव का जल पिने के लिए
उपयोग होता है वहा जानवर आदि को नहीं नहलाना चाहिए और ना ही वहा कपडे , बरतन धोना चाहिए। कुछ एक जगह
जहां कुआँ या नलकूप के जल में आर्सेनिक , सीसा आदि अशुद्धियां -अधिक होती है ,वहा के लोगो को जल को विना शुद्ध
किये उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
वायु प्रदूषण – प्रदूषण के कारण और उसका प्रभाव में वायू का महत्वपूर्ण स्थान है ।
वायु प्रदूषण भी पर्यावरण की प्रमुख्य समस्याओं में से एक समस्या है। जब वायु में अवांछित प्रदार्थ के मिलने से प्राणी मात्र
के लिए नुकसान देह हो जाये तो वायु प्रदुषण कहलाता है। वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा ,लंग्स कैंसर , किडनी से सम्बंधित
विभिन्न विमारियां हो जाती हैं। हमारे वायुमंडल में नाइट्रोजन 70 % है ,
ऑक्सीज़न 20% कार्बन डाई ऑक्साइड 0. 04% और अन्य जल वाष्प , धूल कण आदि होते है।
वायु मुख्य कारन हम लोग निम्न लिखित देंखेगे -:
हमारे वातावरण में विभिन्न स्रोतों से कई हानिकारक गैस जैसे सल्फर डाई ऑक्साइ , मीथेन , क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि के
उत्सर्जन से वायु दूषित हो जाता है , लकड़ी कोयला , गैस आदि के जलने से पारा , सीसा , डाइक्सिन , और बेंजीन भी निकलते
है हमारे स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। कारखानों से यान वाहन से निकलने वाला धुआँ हमारे वायु मंडल को
प्रदूषित कर देता है।
![]() |
वायु प्रदूषण |
सिर्फ स्वस्थ लोगो को ही नहीं बल्कि छोटे बच्चो और गर्भवती महिला को भी इससे बच कर रहना चाहिए। वायु प्रदूषण कई
गंभीर बीमारियां दे सकता है। एक सर्वे के के अनुसार वायु प्रदूषण में सांस लेना दिन में कई सिगरेट पिने के बराबर है जो कि
काफी खतरनाक है। वायु प्रदूषण से लंग्स कैंसर , फेफड़े और किडनी सम्बंधित बीमारीयां हो जाती है। एक किडनी सम्बंधित
बीमारी नेफ्रोपैथी भी वायु प्रदूषण के कारन भी होता है जो स्वमं भी कई बिमारियों जनक है। अम्ल वर्षा भी वायु प्रदूषण के
कारन ही होती। है
वायु प्रदूषण से बचाव – वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोकने के लिए कारखानों को शहर से आवादी से दूर स्थापित करना
चाहिए , और इसकी चिमनी बहुत ऊंचा लगाना चाहिए। पेट्रोल एवं डीज़ल गाड़ियों संख्या को कम करना चाहिए। इलेक्ट्रिक
कार , बाइक , बस आदि प्रचलन पर विशेष जोर देना चाहिए इतना ही लकड़ी ,कोयला आदि को जलाने से बचना चाहिए और
कुछ किसान खेतों में ही खेर पतवार आदि को जला देते है इस से वायु प्रदूषित हो जाता है। किसानो को खेतो में ही खेर
पतवार आदि को दवा देना चाहिए। सरकार ने खर पतवार आदि को खेतो पर जलाने पर प्रत्तिबन्ध लगा रखी है।
ध्वनि प्रदूषण – प्रदूषण के कारण और उसका प्रभाव में ध्वनि का महत्वपूर्ण स्थान है ।
जब जरुरत से ज्यादा अवांछित ध्वनि से जो मनुष्य नुकसान पहुंचाता हो ध्वनि प्रदूषण कहते है।
ध्वनि को डेसीबल से मापा जाता है , पत्तों की सरसराहट 20 से 30 डेसीबल होता है जबकी मेट्रो ट्रैन की आवाज 90 डेसीबल
से 115 डेसीबल तक है। मनुष्य लिए 85 डेसीबल से अधिक आवाज हानिकारक है ,
ध्वनि प्रदुषण दिखाई नहीं देने वाला खतरा है , ध्वनि प्रदुषण सिर्फ धरती ही नहीं सागर को भी नहीं छोड़ा है।
सागर में चलने वाले नौसेना के सोनार तो 235 डेसीबल तक हो सकती है जो समुद्र में रह रहे जलीय जिव लिए बहुत
हानिकारक है। ये ध्वनियां तो जल में कई किलो मीटर तक सकती है।
धरातल में ध्वनि प्रदूषण एक विकट समस्या में हमारे सामने है ऊंची आवाज़ में लाउड स्पीकर बजाना , गाड़ियों एवं बसों के
हॉर्न के होर्न , बाजार में होने वाले शोरगुल आदि ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारन है। प्रदूषण से बहरापन तो आ ही जाता है ,
अलाबे चीड़ चिड़ा पन , रक्तचाप , ह्रदय रोग , अनिंद्रा , तनाव आदि लक्षण दिखाई देने लगते है। हवाई अड्डा सड़क के पास
रहने वाले लोगो में तनाव , रक्त चाप आदि लक्षण देखे गए है।
ध्वनि प्रदूषण से बचाव – हमे अनावश्यक ध्वनि करने से बचना चाहिए , स्कूल , कॉलेज , हॉस्पिटल जैसे जगहों पर होर्न
का प्रयोग करने से बचना चाहिए। लाउड स्पीकर आदि प्रयोग अधिक ना हो रात को दस के बाद इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध
लगा देना चाहिए। सागर में सोनार आदि किसी भी उपकरण से आवाज़ उतनी न हो जिस से समुद्री जीव को किसी प्रकार का
कोई तकलीफ़ हो।
प्रदूषण के कारण और उसका रोकथाम
मृदा प्रदूषण -प्रदूषण के कारण और उसका प्रभाव में मृदा का स्थान महत्वपूर्ण है ।
मृदा प्रदूषण को मिट्टी या भूमि प्रदूषण भी कहते है। मिट्टी में जब कोई अवांछित वस्तु या ऐसी कोई वस्तु
जिससे मृदा को कोई नुकसान हो उसे मृदा प्रदूषण कहते है। मिट्टी के प्रदूषित जाने से मिट्टी खेती योग्य नहीं रह जाती है , मिट्टी
में प्लास्टिक , रासायनिक प्रदार्थ आदि के फेके जाने से मिट्टी की गुणवत्ता समाप्त हो जाती है। कृषि में उपयोग किये जाने वाले
कीटनाशक , रासायनिक उर्वरक आदि खेती की भूमि को नष्ट कर देती है । कोयले को जलाने से भी भूमि को काफी नुकसान
पहुंचाता है कोयले राख में सिसे के आलावा कोयले में पॉली न्यूक्लियर एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन भी पाया जाता है।
मृदा प्रदूषण से वचाव – मृदा प्रदूषण खेती योग्य भूमि को निगलता जा रहा है। प्लास्टिक या ठोस कूड़ा को मिट्टी में नहीं फेकना
चाहिए । प्लास्टिक को तो मिट्टी में मिलने में हजारों साल लग जाते है , जितना हो सके रासायनिक उर्वरक का उपयोग नहीं
करना चाहिए , कोयला आदि के राख को मिट्टी में फेकने से बचना चाहिए। हमें दो तरह के कचरे डब्बे का प्रयोग करना चाहिए ,
एक में ठोस कचरा और दूसरे में गिला कचरा ये भी मृदा प्रदूषण से बचने का उपाय है।
प्रदूषण के कारण और उसका रोकथाम।