अव्यय या अविकारी शब्द का परिभाषा और उसके भेद।
संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण एवं क्रिया के शब्द के रूप लिंग वचन कारक के अनुसार
बदलते है । उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द नहीं बल्कि विकारी शब्द कहा जाता है ।
कुछ हिन्दी के शब्द अपना रूप नहीं बदलते उसे अव्यय या अविकारी शब्द कहलाता है ।
ऐसे शब्द जो लिंग , वचन , कारक , काल आदि के कारण परिवर्तन नहीं होता है,
अव्यय या अविकारी शब्द कहलाता है जैसे – बहुत , थोड़ा , प्रत्येक , तथा आदि ।
संधि और उसके भेद
अव्यय या अविकारी शब्द
अव्यय या अविकारी शब्द के मुख्यत: पाँच भेद होते है ।
(1) क्रिया विशेषण
(2) संबंधबोधक
(3)समुच्य बोधक
(4)विस्मयादिबोधक
(5) निपात
(1) क्रिया विशेषण – क्रिया का विशेषता बतलाने बतलाने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते है ।
जैसे –
लता बहुत तेज से हँस रही है । रमेश धीरे- धीरे चलता है । वह अचानक रुक गया ।
उपर्युक्त वाक्य में बहुत तेज , धीरे- धीरे , अचानक शब्द क्रिया की विशेषता बतलाता है ।
इसलिए यह क्रिया विशेषण है ।
क्रिया विशेषण के मुख्यत: चार भेद है ।
(i) काल वाचक क्रिया विशेषण
(ii) स्थानवाचक क्रिया विशेषण
(iii)परिमाण वाचक क्रिया विशेषण
(iv)रीति वाचक क्रिया विशेषण
(i) काल वाचक क्रिया विशेषण – जिस क्रिया विशेषण शब्द से कल या समय संबंधी
विशेषता का पता चलता हो उसे काल वाचक क्रिया विशेषण कहते है । जैसे – तुम
हमेशा बाजार जाते हो । रामू काल आएगा । में प्रात: ही आ जाऊंगा ।
(ii) स्थान वाचक क्रिया विशेषण – जिस क्रिया विशेषण शब्द से क्रिया के स्थान संबंधी
का बोध होता हो उसे स्थान वाचक क्रिया विशेषण कहते है ।
जसे – मेरा स्कूल मेरे घर के पीछे है । तुम अभी कहाँ जाओगे ? वह कहाँ था ?
(iii) परिमाण वाचक क्रिया विशेषण – जिस क्रिया विशेषण शब्द से क्रिया के मात्रा
या परिमाण का बोध हो परिमाण वाचक क्रिया विशेषण कहलाता है ।
जैसे – तुम थोड़ा और खालो । मेरी बातें ध्यानपूर्वक सुनो । तुम अधिक मत
बोलो । तुम बहुत कम बोलते हो ।
उपर्युक्त वाक्य में थोड़ा , ध्यानपूर्वक , अधिक , कम परिमाण वाचक क्रियविशेषण है ।
(iv) रीतिवाचक क्रिया विशेषण – जिस क्रिया विशेषण शब्द से क्रिया के होने रीति या
विधि का बोध होता है उसे रीति वाचक क्रिया विशेषण कहते है । जैसे – तुम सहसा
कहाँ चल दिये । तुम जल्दी चले आना । तुमने बिल्कुल सही सोचा ।
सहसा , जल्दी , बिल्कुल शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है ।
(2) संबंध बोधक क्रिया विशेषण – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के बाद लग कर
उसका संबंध वाक्य के दूसरे के साथ होता है । उन्हे संबंध बोधक अव्यय कहते है ।
जैसे – मेरा घर स्कूल के पीछे है । रोहण मुहल्ले के आगे की ओर रहता है ।
में घर से दूर पहुँच गया ।
संबंध बोधक क्रिया विशेषण के भेद निम्नलिखित है -:
i. कालवाचक – के पीछे , के बाद , के पहले, के पूर्व
ii. स्थानवाचक – के नीचे , के भीतर , के ऊपर , के तले , के सामने , के पास , के निकट , के भीतर ।
iii. दिशा वाचक – की ओर , की तरफ ।
iv. साधन वाचक – के द्वारा , के सहारे , के कारण ।
v. सांगवाचक – के संग , के साथ , के सहित ।
vi . विरोध वाचक – के विपरीत , के खिलाफ , के विरुद्ध ।
vii . समता वाचक – की तरह , के समान , के अनुरूप
viii . हेतु वाचक – के कारण , के अलावा ।
ix . सहचर्य वाचक – के संग , के साथ , के अधीन , के सहित ।
x. व्यक्तिरेक वाचक – के अलावा , के अतिरिक्त , के बिना , के सिवा ।
संबंध बोधक का प्रयोग तीन प्रकार से किया जाता है ,
विभक्तियों के साथ -: वह तुम्हारे बिना भी रह सकता है ।
राम के बिना सीता अधूरी है ।
विभक्तियों के बिना -: मैं सुबह घर पर ही था। तुम अपने भाइयों सहित पढ़ रहें थे ।
दोनों प्रकार से (विभक्तियों के साथ भी और विभक्तियों के बिना भी )
कृष्ण के बिना राधा अधूरी है । (विभक्तियों के साथ)
कृष्ण बिना राधा अधूरी है । ((विभक्तियों के बिना )
(3) समुच्यय बोधक – जो अविकारी शब्द दो शब्दो , दो पदबंदों , दो वाक्यों ,
दो वाक्यांशों जोड़ता हो उसे समुच्य बोधक अव्यय कहते है ।
जैसे – आप चाय पिएंगे या कॉफी ।
राम और श्याम बाजार जा रहा है ।
जल्दी चलो नहीं तो ट्रेन चली जाएगी ।
शिक्षक ने कहा की का विद्यालय की छुट्टी है ।
समुच्य वाचक अव्यय के निम्न दो भेद है ।
(क) सामनाधिकरण समुच्य वाचक
(ख ) व्याधिकरण समुच्य वाचक
(क) सामनाधिकरण समुच्य वाचक –
समान श्रेणी वाले शब्दों , वाक्यांशों तथा वाक्यों को जोड़ने वाले समुच्यबोधक
अव्यय या अविकारी शब्द को सामनाधिकरण समुच्य वाचक अव्यय कहते है ।
जैसे – भैया और भाभी बाजार जा रहें है ।
आकाश में बादल छाया लेकिन बारिश नहीं होगी ।
सामनाधिकरण समुच्य वाचक के मुख्य भाग निम्नलिखित है ।
(i) सायोंजक – ऐसे अव्यय शब्द जो वाक्यो या वाक्यांश को
जोड़ता है , संयोजक कहलाता है ।
जैसे – सीता और गीता दोनों बहन है ।
(ii) विकल्पक – : ऐसे अव्यय शब्द जो शब्दों , वाक्यों या वाक्यांशों में विकल्प
देता हो उसे विकल्पक कहते है । जैसे – चाय पियोगे या कॉफी ?
यहाँ पढ़ो अथवा चले जाओ ।
(iii) विरोधवाचक – ऐसे शब्द जो पहले वाक्य का विरोध करता हो ।
विरोध वाचक कहा जाता है । जैसे – तुम आए परंतु वह नहीं आया ।
मेंने उसे बुलाया पर वह नहीं आया ।
(iv) परिणाम वाचक – ऐसे शब्द जो वाक्य के परिमाण की और संकेत करता है ।
उसे परिणाम वाचक कहते है ।
जैसे – वह विमार था , इसीलिए वह नहीं आया । पिताजी के आने से सभी खुश हो गए ।
(ख) व्यधिकरण – जिन समुच्य वाचक शब्दों के द्वारा एक मुख्य वाक्य में एक या एक से
अधिक आश्रित वाक्य जोड़ा जाता है। उसे व्यधिकरण समुच्य बोधक अव्यय या अविकारी
शब्द कहते है । जैसे – तुम परिश्रम करना शुरू कारों ताकि अच्छे अंक प्राप्त कर सको ।
वह धनवान के साथ दयालु भी है ।
व्यधिकरण समुच्य बोधक अव्यय के निम्नलिखित भेद है ।
(i) कारणवाचक – ऐसे समुच्य बोधक शब्द जो वाक्य में कारण स्पष्ट करते है ।
कारण वाचक समुच्य बोधक अव्यय कहलाते है । जैसे – तुम सुबह आ जाना क्यूंकी
तुम्हारी परीक्षा है ।
(ii) संकेत वाचक – ऐसे समुच्य बोधक शब्द जो वाक्य में शर्त या संकेत स्पष्ट करते है ।
संकेत वाचक समुच्य बोधक अव्यय या अविकारी शब्दकहलाते है । जैसे – यदि तुमने
मेरी बात नहीं मानी तो अच्छा नहीं होगा ।
(iii) स्वरूप वाचक – ऐसे समुच्य बोधक शब्द जो वाक्य में पहले प्रयुक्त शब्द या
वाक्यांश को स्पष्ट करते है । स्वरूप वाचक समुच्य बोधक अव्यय कहलाते है ।
जैसे – तुम पुनः आ गए अर्थात तुम्हें भय नहीं ।
(iv) उधेश्य वाचक – ऐसे समुच्य बोधक शब्द जो वाक्य में उधेश्य को स्पष्ट करते है ।
उधेश्य वाचक समुच्य बोधक अव्यय कहलाते है । जैसे – वह बाजार गई ताकि सामान
ला सके ।
(4) विस्मयादिबोधक (interjection ) – जिस शब्दो के द्वारा मन के भावों का पता
चलता हो उसे विस्मयादिबोधक कहते है । जैसे – हे ! प्रभु , शाबाश , उफ ! आदि
विस्मयादिबोधक के निम्नलिखित भेद है ।
(क ) विस्मयादिबोधक शब्द – वाह ! , क्या ! ,हे ! ऐ ! आदि ।
(ख) हर्ष वर्धक शब्द – वाह ! , शाबाश ! , धन्य ! , आह !
(ग) शोकबोध शब्द – आह ! , हाय राम ! त्राहि – त्राहि , आदि
(घ) घृणा बोधक शब्द – धत ! , परे हट ! , छि – छि ! आदि
(ङ ) चेतावनीबोधक शब्द – खबरदार ! , होशियार ! , बचो ! आदि
(च) स्वीकृतिबोधक शब्द – बहुत अच्छा ! , जी ठीक ! , अच्छा ! आदि
(छ) आशीर्वाद बोधक – जीते रहो ! विजय हो ! , सुखी रहो ! आदि ।
(ज) सम्बोधन बोधक – हे ! , अरे ! , ऐ , जी ! , सुनो ! आदि
(5) निपात (particle) – जो अव्यय या अविकारी शब्द किसी शब्द बाद लगकर
उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करता हो उसे निपात किसे कहते है ।
जैसे – रमेश ही मेरी घड़ी चुराई । मेरे पिताजी कल ही आएंगे ।महेश ने ही मुझे बुलाया ।
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